अपनी बिटिया के लिए ये ' name plate' बनाई थी...वाक़ई में तिनका,तिनका जोड़...! घोंसला बनाया था, '
plumber' ने फेंके रस्सी के टुकडों में से..अंडे थे, पता नही, परदादा या उनके भी पिता के शेरवानी के buttons. अन्य कुछ कपडों के तुकडे, जिनसे दीवारें बनी...बिटिया सूत कताई करती थी..उसकी कुछ घाँस फूंस..और पता नही क्या,क्या जुगाड़ किया...! अफ़सोस...इस name plate के अलावा भी, बहुत कुछ,जो मैंने हाथों से बनाया था...सब के सब शिपमेंट में खो गया...! जिनमे पिछली कमसे कम, ५ पीढियाँ जुडी हुई थीं...वो सारी धरोहर...!
5 comments:
वाकई कई वस्तुएं भले ही दिखने में छोटी लगें भावनात्मक लगाव गहरा होता है
आपका स्लाइड शो वाकई अतुल्य है . ये आपकी बहुआयामी प्रतिभा का परिचायक है
सुन्दर चित्र है........... पुरानी चीजें पुराणी यादों से भरी सुन्दर पोस्ट............
sunder chitra, apke lalitlekh par to koi nayi post nahi,milti isiliey maine shamsansmaran.blogspot.com apni follower list main jod liya hai.
bas man karta hai ki niharte raho
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