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sansmaran
Tuesday, March 24, 2009
नैहर में कुर्सीपे अंडा देती मुर्गी....
Hens are always laying eggs on chairs at my mother's place!
3 कमेंट्स....... कुछ १७ साल पूर्व मैंने ये तस्वीर खींची थी,,,,यही वो बरामदा था, जहाँ मेरे दादा-दादी अक्सर बैठके घंटों बातें किया करते....उनकी आँखें, घरके गेटपे टिकी रहती...हरवक्त इस इन्तेज़ारमे की हम बच्चों मेसे कोई आ जाए...भूले भट्केही सही....अब वास्तुके हिसाबसे इस घरका पूरा परिवर्तन हो गया और वो बरामदा रहाही नही....मुर्गियाँ तो मुझे जबसे याद पड़ता है, तबसे, घरके किसी न किसी कोनेमे, चाहे वो किसी कमरेमे हो या, रेडियो के पास राखी कुर्सीपे हो, अंडा देने ज़रूर आतीं...और उस समय गर कोई कुर्सीपे बैठा मिलता तो उधम मचाती...तोभी गर वो व्यक्ति नही उठता तो उसके गोदमे अंडा दे देती.....
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एक राह अकेली-सी.....
नैहर में कुर्सीपे अंडा देती मुर्गी....
रोई आँखें मगर....१
रोई ऑंखें मगर.....२
रोई आँखें मगर....३
रोई आँखे मगर....४
रोई आँखें मगर.....५
जा, उड़ जारे पंछी ! ६ ( अन्तिम)
जा, उड़ जारे पंछी ! ५
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