Friday, May 7, 2010

अर्थी तो उठी...१


चंद वाक़यात लिखने जा रही हूँ...जो नारी जीवन के एक दुःख भरे पहलू से ताल्लुक़ रखते हैं....ख़ास कर पिछली पीढी के, भारतीय नारी जीवन से रु-ब-रु करा सकते हैं....

हमारे मुल्क में ये प्रथा तो हैही,कि, ब्याह के बाद लडकी अपने माता-पिता का घर छोड़ 'पती'के घर या ससुराल में रहने जाती है...बचपन से उसपे संस्कार किए जाते हैं,कि, अब वही घर उसका है, उसकी अर्थी वहीँ से उठनी चाहिए..क्या 'वो घर 'उसका' होता है? क़ानूनन हो भी, लेकिन भावनात्मक तौरसे, उसे ऐसा महसूस होता है? एक कोमल मानवी मन के पौधेको उसकी ज़मीन से उखाड़ किसी अन्य आँगन में लगाया जाता है...और अपेक्षा रहती है,लडकी के घर में आते ही, उसे अपने पीहर में मिले संस्कार या तौर तरीक़े भुला देने चाहियें..! ऐसा मुमकिन हो सकता है?

जो लिखने जा रही हूँ, वो असली घटना है..एक संभ्रांत परिवार में पली बढ़ी लडकी का दुखद अंत...उसे आत्महत्या करनी पडी... वो तो अपने दोनों बच्चों समेत मर जाना चाह रही थी..लेकिन एक बच्ची, जो ५ सालकी या उससे भी कुछ कम, हाथसे फिसल गयी..और जब इस महिलाने १८ वी मंज़िल से छलाँग लगा ली,तो ये 'बद नसीब' बच गयी... हाँ, उस बचने को मै, उस बच्ची का दुर्भाग्य कहूँगी....

जिस हालमे उसकी ज़िंदगी कटती रही...शायद उन हालत से पाठक भी वाबस्ता हों, तो यही कह सकते हैं..
ये सब, क्यों कैसे हुआ...अगली किश्त में..गर पाठकों को दिलचस्पी हो,तभी लिखूँगी...क्योंकि, यहाँ एक सँवाद हो रहा है..बात एक तरफ़ा नही...आप सवाल करें तो मै जवाब दूँ...या मै सवाल खड़ा करूँ,तो आप जवाब दें!

8 comments:

Vinashaay sharma said...

शमा जी में,आगे का वाक्या जानने का उत्सुक हूँ,उस महीला के बचने को आपने उस बच्ची का दुर्भाग्य कहा है,परन्तु आपने यह नही लिखा,उस बच्ची का क्या हुआ?

Satish Saxena said...

मैं भी यही जानना चाहता हूँ ! वह बच्ची किस हाल में है !

Asha Joglekar said...

शमाजी आगे का जरूर लिखें । आपका दर्द से एक गहरा रिश्ता है ।

Asha Joglekar said...

शमा जी, कहानी यै घटना को आगे बढायें । आपकी हर रचना बेहद दर्द दे जाती है ।

Asha Joglekar said...

मेरा e-mail address ashaj45@gmail.com है ।

Reena Khare said...

shamaji pls aap aage likhiye .....

Pradeep Kumar said...

bahut din se kuchh naya sansmaran nahi ?
kya baat hai shama ji
paathakon ko itna intezaar karaanaa bhi theek nahi

Nitish Tiwary said...

achhha likha hai aapne...
mere blog par bhi aaiye..aapka swagat hai..
मैं किसी के साँसों का तलबगार नही होता,
मैं किसी के मोहब्बत में बीमार नही होता,
यह सोचकर की मेरी ज़िंदगी बची है थोड़ी,
मैं किसी के क़र्ज़ का कर्ज़दार नही होता.
http://iwillrocknow.blogspot.in/2014/09/best-shayri-ever.html